लाइब्रेरी में जोड़ें

दुर्मिल सवैया




दुर्मिल सवैया

सजनी कहती सजना सुनता, सजना कहता सजनी सुनती।
रहते नजदीक चला करते, सजनी सजना मन को लखती।
मुंह में मुंह डाल किया करती, हर बात बतावत है सजनी।
न छिपावत है इक तथ्य कभी, न दुराव कभी रखती सुगनी।

मधु प्यार अपार भरा मन में, अति स्नेह सदा झलका करता।
व्यवहार सुशिष्ट सदा मनमोहक, ध्यान सदा छलका करता।
अति श्लाघ्य सुकोमल तंत्र महा, अहसास मनोहर मादक है।
अजपाजप मंत्र चला करता, सजनी सजना मन लायक है।

रचनाकार... डॉक्टर रामबली मिश्र
9838453801

   16
6 Comments

Swati chourasia

02-Nov-2022 08:20 PM

वाह बहुत ही खूबसूरत रचना बेहतरीन 👌👌👌👌👌👌

Reply

Haaya meer

02-Nov-2022 05:39 PM

Amazing

Reply

Muskan khan

02-Nov-2022 05:00 PM

Well done ✅

Reply